पूज्य आर्यिका श्री की करुणा

पेट दर्द

१. सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, अजवाइन, सैंधा नमक, जीरा, स्याही जीरा बराबर मात्रा में पीसकर उसमें आठवाँ भाग हींग मिलाकर (घी में भूनकर) चूर्ण बनावें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण को रोटी के ५ ग्रास अर्थात् सवा रोटी को चूरकर उसमें २ चम्मच घी एवं यह चूर्ण मिलाकर सबसे पहले खावें। ( परहेज ) - इमली, आम की खटाई, चावल, ठण्डे पेय, जूस, शिकंजी, मौसमी आदि शीतल फलों का प्रयोग नहीं करें।

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सिर दर्द

१. खाली पेट शुद्ध घी की जलेबी दूध में भिगोकर खावें और दूध पीवें। १५-२० दिन में वर्षों पुराना सिर दर्द ठीक हो जाता है।

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पौष्टिक मुनक्का का पानी:

सामग्री : १०–१५ मुनक्का, ४–५ ग्लास पानी पानी बनाने की विधि : मुनक्का धो कर पानी में डालकर दाल की भांति अच्छे तरह उबालकर छान ले मुनक्का अलग कर दें, पानी को सामान्य तापमान में आने पर प्रयोग करें। लाभ : (१) शरीर में होने वाली पानी की पूर्ति होती है, (२) अत्यंत ताकतवर भी है, (३) अपच एवं अजीर्ण ठीक हो जाता है।

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पौष्टिक सेवफल का पानी :

२ मीठे सेवफल के छोटे-छोटे टुकड़े करके एक (लोटा आदि ) बर्तन में रखें, उन पर उबलता हुआ २ गिलास पानी डालकर ढककर रख दें। ठण्डा या गुनगुना होने पर छान लें। लाभ - (1)इसको पीने से कमजोरी दूर होती है। (2)शरीर में ग्लूकोज की भी पूर्ति होती है। *सेवफल के बीज बहुमूत्र नाशक हैं।

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पौष्टिक नींबू का पानी :

सामग्री : 2 नींबू , 1 जग पानी पानी बनाने की विधि : नींबू का रस, एक जग पानी में डालकर चाय की तरह अच्छा उबालें। उबलने के उपरान्त ढककर रख दें। * अपने-आप कुनकुना होने पर अथवा गरम-गरम (जैसा पी सकें वैसा) भी सेवन कर सकते हैं। लाभ – यही नींबू का पानी है। (यह उदर/पेट सम्बन्धी एवं सर्दी जुकाम, अपच, अजीर्ण, अरुचि आदि सभी बीमारियों की अचूक औषधि है ।)

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ऋतु के अनुकूल आहार

बसन्त ऋतु - १५ मार्च से १५ मई तक इस ऋतु में संचित कफ अनेक रोगों को उत्पन्न करता है। इसका उपचार कुंजर क्रिया के द्वारा करते हैं। साथ ही खट्टे, तेल युक्त व मीठे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अतः बसन्त ऋतु में हल्का, गर्म, कड़वे एवं चटपटे आहार लेना चाहिए। ताकि बीमारी नहीं आवे।

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ऋतु के अनुकूल आहार

ग्रीष्म ऋतु - १५ मई से १५ जुलाई तक इसमें पित्त की अधिकता हो जाती है। इसमें नमकीन, खट्टे व गर्म भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। स्वादिष्ट ठण्डे, चटपटे, कषायले, तेलयुक्त व मीठा आहार लेना चाहिए।

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